
Geeta Darshan Vol-17 # Ep.198
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Episode · 1:33:39 · Oct 24, 2023
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DATES AND PLACES : MAY 21-31 1975 Seventeenth Chapter from the series of 18 Chapters - Geeta Darshan Vol-17 by Osho. These discourses were given during MAY 21-31 1975. --------------------------------------- सद्भावे साधुभावे च सदित्येतत्प्रयुज्यते।प्रशस्ते कर्मणि तथा सच्छब्दः पार्थ युज्यते।। 26।।यज्ञे तपसि दाने च स्थितिः सदिति चोच्यते।कर्म चैव तदर्थीयं सदित्येवाभिधीयते।। 27।।अश्रद्धया हुतं दत्तं तपस्तप्तं कृतं च यत्।असदित्युच्यते पार्थ न च तत्प्रेत्य नो इह।। 28।।और सत्, ऐसे यह परमात्मा का नाम सत्य-भाव में और श्रेष्ठ-भाव में प्रयोग किया जाता है। तथा हे पार्थ, उत्तम कर्म में भी सत् शब्द प्रयोग किया जाता है।तथा यज्ञ, तप और दान में जो स्थिति है, वह भी सत् है, ऐसे कही जाती है। और उस परमात्मा के अर्थ किया हुआ कर्म निश्चयपूर्वक सत् है, ऐसे कहा जाता है।और हे अर्जुन, बिना श्रद्धा के होमा हुआ हवन तथा दिया हुआ दान एवं तपा हुआ तप और जो कुछ भी किया हुआ कर्म है, वह समस्त असत् है, ऐसे कहा जाता है। इसलिए वह न तो इस लोक में लाभदायक है और न मरने के पीछे ही।
1h 33m 39s · Oct 24, 2023
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