
Geeta Darshan Vol-17 # Ep.194
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Episode · 1:46:16 · Oct 22, 2023
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DATES AND PLACES : MAY 21-31 1975 Seventeenth Chapter from the series of 18 Chapters - Geeta Darshan Vol-17 by Osho. These discourses were given during MAY 21-31 1975. --------------------------------------- देवद्विजगुरुप्राज्ञपूजनं शौचमार्जवम्।ब्रह्मचर्यमहिंसा च शारीरं तप उच्यते।। 14।।अनुद्वेगकरं वाक्यं सत्यं प्रियहितं च यत्।स्वाध्यायाभ्यसनं चैव वाङ्मयं तप उच्यते।। 15।।मनःप्रसादः सौम्यत्वं मौनमात्मविनिग्रहः।भावसंशुद्धिरित्येतत्तपो मानसमुच्यते।। 16।।तथा हे अर्जुन, देवता, द्विज अर्थात ब्राह्मण, गुरु और ज्ञानीजनों का पूजन एवं पवित्रता, सरलता, ब्रह्मचर्य और अहिंसा, यह शरीर संबंधी तप कहा जाता है।तथा जो उद्वेग को न करने वाला प्रिय और हितकारक एवं यथार्थ भाषण है और जो स्वाध्याय का अभ्यास है, वह निःसंदेह वाणी संबंधी तप कहा जाता है।तथा मन की प्रसन्नता, शांत भाव, मौन, मन का निग्रह और भाव की पवित्रता, ऐसे यह मन संबंधी तप कहा जाता है।
1h 46m 16s · Oct 22, 2023
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