
Geeta Darshan Vol-16 # Ep.187
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Episode · 1:39:42 · Oct 18, 2023
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DATES AND PLACES : MAR 30-APR 06 1974 Sixteenth Chapter from the series of 18 Chapters - Geeta Darshan Vol-16 by Osho. These discourses were given during MAR 30-APR 06 1974. --------------------------------------- त्रिविधं नरकस्येदं द्वारं नाशनमात्मनः।कामः क्रोधस्तथा लोभस्तस्मादेतत्त्रयं त्यजेत्।। 21।।एतैर्विमुक्तः कौन्तेय तमोद्वारैस्त्रिभिर्नरः।आचरत्यात्मनः श्रेयस्ततो याति परां गतिम्।। 22।।यः शास्त्रविधिमुत्सृज्य वर्तते कामकारतः।न स सिद्धिमवाप्नोति न सुखं न परां गतिम्।। 23।।तस्माच्छात्रं प्रमाणं ते कार्याकार्यव्यवस्थितौ।ज्ञात्वा शास्त्रविधानोक्तं कर्म कर्तुमिहार्हसि।। 24।।और हे अर्जुन, काम, क्रोध तथा लोभ, ये तीन प्रकार के नरक के द्वार आत्मा का नाश करने वाले हैं अर्थात अधोगति में ले जाने वाले हैं, इससे इन तीनों को त्याग देना चाहिए।क्योंकि हे अर्जुन, इन तीनों नरक के द्वारों से मुक्त हुआ पुरुष अपने कल्याण का आचरण करता है। इससे वह परम गति को जाता है अर्थात मेरे को प्राप्त होता है।और जो पुरुष शास्त्र की विधि को त्यागकर अपनी इच्छा से बर्तता है, वह न तो सिद्धि को प्राप्त होता है और न परम गति को तथा न सुख को ही प्राप्त होता है।इसलिए तेरे लिए इस कर्तव्य और अकर्तव्य की व्यवस्था में शास्त्र ही प्रमाण है, ऐसा जानकर तू शास्त्र-विधि से नियत किए हुए कर्म को ही करने के लिए योग्य है।
1h 39m 42s · Oct 18, 2023
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