
Geeta Darshan Vol-16 # Ep.182
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Episode · 1:31:23 · Oct 16, 2023
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DATES AND PLACES : MAR 30-APR 06 1974 Sixteenth Chapter from the series of 18 Chapters - Geeta Darshan Vol-16 by Osho. These discourses were given during MAR 30-APR 06 1974. --------------------------------------- दम्भो दर्पोऽभिमानश्च क्रोधः पारुष्यमेव च।अज्ञानं चाभिजातस्म पार्थ संपदमासुरीम्।। 4।।दैवी संपद्विमोक्षाय निबन्धायासुरी मता।मा शुचः संपदं दैवीमभिजातोऽसि पाण्डव।। 5।।द्वौ भूतसर्गौ लोकेऽस्मिन्दैव आसुर एव च।दैवो विस्तरशः प्रोक्त आसुरं पार्थ मे श्रृणु।। 6।।और हे पार्थ, पाखंड, घमंड और अभिमान तथा क्रोध और कठोर वाणी एवं अज्ञान, ये सब आसुरी संपदा को प्राप्त हुए पुरुष के लक्षण हैं।उन दोनों प्रकार की संपदाओं में दैवी संपदा तो मुक्ति के लिए और आसुरी संपदा बांधने के लिए मानी गई है। इसलिए हे अर्जुन, तू शोक मत कर, क्योंकि तू दैवी संपदा को प्राप्त हुआ है।और हे अर्जुन, इस लोक में भूतों के स्वभाव दो प्रकार के बताए गए हैं। एक तो देवों के जैसा और दूसरा असुरों के जैसा। उनमें देवों का स्वभाव ही विस्तारपूर्वक कहा गया, इसलिए अब असुरों के स्वभाव को भी विस्तारपूर्वक मेरे से सुन।
1h 31m 23s · Oct 16, 2023
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