
Ye Daag Daag Uzala | ALLAMA IQBAL | Recited By MadhuShala
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Episode · 0:38 · Dec 3, 2025
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ये दाग़ दाग़ उजाला ये शब-गज़ीदा सहर वो इंतिज़ार था जिस का ये वो सहर तो नहीं ये वो सहर तो नहीं जिस की आरजू ले कर चले थे यार कि मिल जाएगी कहीं न कहीं फ़लक के दश्त में तारों की आख़िरी मंज़िल कहीं तो होगा शब-ए-सुस्त-मौज का साहिल कहीं तो जा के रुकेगा सफ़ीना-ए-ग़म दिल
38s · Dec 3, 2025
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