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सपनों का भारत उठो, चलो आगे बढ़ो अब वक्त तुम्हारा आया है ! वक्त है हमारा, देश है प्यारा, सोच नई, हर डगर नई, नई दिशाएँ, नए आयाम। नहीं चाहिए बन्दुक की गोली, बंद-हड़तालें, देश एक प्रदेश की बात है बेमानी ! करना है कुछ ऐसा काम देश बने खूब खुशहाल। कुछ करने से पहले सोचें कुछ करने से पहले देखें सुनने की सारी शक्ति हम गुरु-मंत्र को सौपें। उठो, चलो आगे बढ़ो अब वक्त तुम्हारा आया है ! निंदा त्यांगें उपहास को छोड़ें कर्म को पहचानें फल देश को सौंपे सुने नही, धारण करें मैं-मैं नहीं हम सब करें देश बढ़े, हम साथ चलें आगे बढे, बढ़ते रहें ! लक्ष्य एक, मैं एक नहीं सौ करोड़ कदम, हर दिन हर पल बढ़ते रहें कल जो होना है क्षण में होगा कल का सपना, साकार अभी होगा। यह देश महान संस्कृति महान नारों से अब कुछ न होगा, बातों से न देश बनेगा बहसों के पुल टूट जाएंगे कर्म करेंगे हम सब मिल कर तभी देश का होगा उत्थान ! एक नहीं, दो नहीं सौ करोड़ गाँधी के इस देश को आगे बढ़ना है। स्वयं को सब अपने स्वयं को समझें तभी देश आगे बढ़ेगा। “ मैं तुममे खो जाऊं ", नहीं “ मैं तुमसे यही पाऊं ", नहीं हम सबको अब कहना है मैंने, तुमने, हम सबने कुछ करना है मुझको, तुमको, हम सबको मिलकर कुछ पाना है, देश को आगे बढ़ाना है। उठो, बढ़ो आगे बढ़ो साकार करो सपनो का भारत साकार करो अपना सपना। Written on 15th August 2002 by Ashwani Kapoor
2m 44s · Aug 14, 2020
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