
Mujhse Pehle | Ahmed Faraz | Ft. Madhushala
Episode · 3 Plays
Episode · 3 Plays · 1:34 · Dec 9, 2025
About
मुझ से पहले तुझे जिस शख़्स ने चाहा उस नेशायद अब भी तिरा ग़म दिल से लगा रक्खा होएक बे-नाम सी उम्मीद पे अब भी शायदअपने ख़्वाबों के जज़ीरों को सजा रक्खा होमैं ने माना कि वो बेगाना-ए-पैमान-ए-वफ़ाखो चुका है जो किसी और की रानाई मेंशायद अब लौट के आए न तिरी महफ़िल मेंऔर कोई दुख न रुलाये तुझे तन्हाई मेंमैं ने माना कि शब ओ रोज़ के हंगामों मेंवक़्त हर ग़म को भुला देता है रफ़्ता रफ़्ताचाहे उम्मीद की शमएँ हों कि यादों के चराग़मुस्तक़िल बोद बुझा देता है रफ़्ता रफ़्ताफिर भी माज़ी का ख़याल आता है गाहे-गाहेमुद्दतें दर्द की लौ कम तो नहीं कर सकतींज़ख़्म भर जाएँ मगर दाग़ तो रह जाता हैदूरियों से कभी यादें तो नहीं मर सकतींये भी मुमकिन है कि इक दिन वो पशीमाँ हो करतेरे पास आए ज़माने से किनारा कर लेतू कि मासूम भी है ज़ूद-फ़रामोश भी हैउस की पैमाँ-शिकनी को भी गवारा कर लेऔर मैं जिस ने तुझे अपना मसीहा समझाएक ज़ख़्म और भी पहले की तरह सह जाऊँजिस पे पहले भी कई अहद-ए-वफ़ा टूटे हैंइसी दो-राहे पे चुप-चाप खड़ा रह जाऊँ
1m 34s · Dec 9, 2025
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