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Kona | Priya Johri 'Muktipriya'

Pratidin Ek Kavita

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Episode  ·  1:52  ·  Dec 15, 2025

About

कोना । प्रिया जोहरी 'मुक्तिप्रिया’वोकोना थामेरे जीवन का,एक गहरा,सकरा,फिर भी विस्तृत-इतना कि उसमेंपूरा जीवन समा जाए।समा जाएँमेरी हर तकलीफ,हर रंज,हर तंज।उस कोने में बैठकरलिख सकती हूँअनगिनत प्रेम-पत्र,पढ़ सकती हूँमन की दो किताबें,तोड़ सकती हूँकई गुलाब,और गूँथ सकती हूँएक फूलों की माला।महसूस कर सकती हूँनदी का तेज,ताज़ी हवा का हर झोंका।देख सकती हूँ.हथेली पर रखाएक सफेद मोती,जो किसी चमत्कार साचमकता है।सजा सकती हूँबालों मेंगुलमोहर की लट,महक सकती हूँएक अनछुईखुशबू सी।खिल सकती हूँयूँ जैसेअभी-अभीकोई ताज़ा कमलखिला हो।

1m 52s  ·  Dec 15, 2025

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