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Hindi Audio Bible Luke with Text | अध्याय 22 | सन्त लूकस रचित सुसमाचार | Gospel of Luke Chapter 22

Greater Glory of God

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Episode  ·  15:26  ·  Oct 4, 2022

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Watch video संत लूकस रचित सुसमाचार अध्याय 22 में प्रभु येसु के अंतिम दिन का वर्णन है। सबकुछ आखिरी होता है - अंतिम भोज, आखिरी बार एक साथ। शिष्यों को कुछ भी नहीं पता। उनको कुछ भी समझ में नहीं आता। प्रभु सबकुछ जानते हैं। इसलिए वे दुःख से भरे रहते हैं।  प्रभु की स्थिति को ध्यान में रख कर इस अध्याय को पढ़ें और सुनें।  यूदस का विश्वासघात - केवल शिष्य जानते थे कि प्रभु अपने शिष्यों के साथ रात के समय "जैतून पहाड़" (लूकस 21:37) में रहा करते थे। प्रभु और उनके शिष्यों में ज्यादा फर्क भी नहीं दीखता था। इसलिए महायाजक और शास्त्री चाहते थे कि कोई उन्हें प्रभु को पकड़ने में मदद करें। शैतान से प्रेरित होकर यूदस महायाजकों और मन्दिर-आरक्षी के नायकों के पास जाकर अपने प्रभु का विश्वासघात करने की जानकारी दिया।  पास्का की तैयारी - प्रभु सबकुछ जानते थे। इसलिए अपने सबसे प्रिय दो शिष्यों को भेजकर पास्का की तैयारी करते हैं।  पास्का का भोज - प्रभु येसु अपनी मृत्यु को पुराने पास्का त्योहार से जोड़कर मुक्तिदायी एवं संस्कार के रूप में नये पास्का के रूप में अपने शिष्यों को देने वाले थे। इसलिए पास्का भोज को अपने अंतिम भोज के रूप में वे ग्रहण करते हैं। प्रभु येसु इसके पहले भी दो बार अपने शिष्यों के साथ पास्का भोज खाये थे। लेकिन इस बार का बहुत ही अलग और विशेष था। क्योंकि प्रभु ने कहा, "मैं कितना चाहता था कि दुःख भोगने से पहले पास्का का यह भोजन तुम्हारे साथ करूँ"।  पवित्र यूखरिस्त की स्थापना - पास्का भोज के समय जिन शब्दों का प्रयोग प्रभु ने किया उनको बदल कर प्रभु नये पास्का की स्थापना करते हैं। अगले दिन होने वाली अपनी बलि को एक संस्कार के रूप में प्रभु यहाँ स्थापित कर रहे थे। पवित्र यूखरिस्त की स्थापना के शब्दों पर ध्यान देने पर हमें यह सत्य समझ में आता है।  यूदस के विश्वासघात का संकेत - प्रभु सबकुछ जानते थे। वे जानते थे कि यूदस जाकर उनके विरोधयों से मिलकर आया है। लेकिन प्रभु उसको रोकते नहीं और न तो इसके बारे में अपने अन्य शिष्यों से खुलासा करते हैं। क्योंकि उन्हें इसी दिन का इंतज़ार था।  शिष्यों में बड़ा कौन - उनके शिष्य स्थिति को समझ नहीं पा रहे थे। उन में विवाद छिड़ गया। प्रभु के अनुसार सबसे बड़ा व्यक्ति सबसे छोटा और सबका सेवक होना चाहिए। इस शिक्षा का प्रमाण वे स्वयं अपने शिष्यों के पाँव धोकर दिए।  प्रेरितों का पुरस्कार - स्वर्गराज्य में प्रभु के साथ शासन करने का अधिकार ही प्रेरितों का पुरस्कार है। इसके लिए उन्हें प्रभु का अनुसरण कर अपने आपको बलि चढ़ाना पड़ा।  पेत्रुस की भावी निर्बलता - भावना से भरकर पेत्रुस प्रभु के लिए अपना जीवन देने के लिए भी तैयार हो जाते हैं। लेकिन प्रभु कहते हैं कि मरना तो बहुत दूर की बात, तीन बार वह अपने प्रभु को अस्वीकार करेंगे। हम जानते हैं कि ऐसा हुआ भी।  भावी संकट - माहौल पूरी तरह बदलता जा रहा था। शांति का राजा तलवार खरीदने की बात करते हैं और आश्चर्य की बात यह है कि पहले से उनके पास दो तलवारें थे।  प्रभु की प्राणपीड़ा - जैसे हम पहले देख चुके हैं कि प्रभु जैतून पहाड़ में रात बिताया करते थे। उस रत भी वहीं थे। वे इतना व्याकुल हो उठते हैं कि "उनका पसीना रक्त की बूँदों की तरह धरती पर टपकता रहा"। क्या ऐसे होता है? जी हाँ। Hematohidrosis नामक एक बीमारी है जो एक व्यक्ति के बहुत ज्यादा दबाव और चिंता में पड़ने के कारण होता है। (इसके बारे में और जानकारी आप सर्च कर सकते हैं। )

15m 26s  ·  Oct 4, 2022

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