
Geeta Darshan Vol-5 # Ep.51
Episode · 13 Plays
Episode · 13 Plays · 1:13:21 · Aug 6, 2023
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DATES AND PLACES : MAR 13-23 1971. BOMBAY. Fifth Chapter from the series of 18 Chapters - Geeta Darshan Vol-5 by Osho. These discourses were given in BOMBAY during MAR 13-23 1971. --------------------------------------- नैव किंचित्करोमीति युक्तो मन्येत तत्त्ववित्।पश्यञ्श्रृण्वस्पृशञ्जिघ्रन्नश्नन्गच्छन्स्वपञ्श्वसन्।। 8।।प्रलपन्विसृजन्गृह्णन्नुन्मिषन्निमिषन्नपि।इन्द्रियाणीन्द्रियार्थेषु वर्तन्त इति धारयन्।। 9।।और हे अर्जुन, तत्व को जानने वाला सांख्ययोगी तो देखता हुआ, सुनता हुआ, स्पर्श करता हुआ, सूंघता हुआ, भोजन करता हुआ, गमन करता हुआ, सोता हुआ, श्वास लेता हुआ, बोलता हुआ, त्यागता हुआ, ग्रहण करता हुआ तथा आंखों को खोलता और मींचता हुआ भी, सब इंद्रियां अपने-अपने अर्थों में बर्त रही हैं, इस प्रकार समझता हुआ निःसंदेह ऐसे माने कि मैं कुछ भी नहीं करता हूं।तत्व को जानता हुआ पुरुष सब करते हुए भी ऐसा ही जानता है, जैसे मैं कुछ भी नहीं करता हूं। इंद्रियां बर्तती हैं अपने-अपने स्वभाव से। इंद्रियों के वर्तन को, तत्व को जानने वाला पुरुष, अपना कर्म नहीं मानता है। तत्व को जानने वाला पुरुष कर्ता नहीं होता, वरन इंद्रियों के कर्मों का मात्र साक्षी होता है।
1h 13m 21s · Aug 6, 2023
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