
Geeta Darshan Vol-3 # Ep.23
Episode · 5 Plays
Episode · 5 Plays · 1:27:38 · Jul 23, 2023
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DATES AND PLACES : DEC 28 - JAN 06 1970. BOMBAY.Third Chapter from the series of 18 Chapters - Geeta Darshan Vol-3 by Osho. These discourses were given in BOMBAY during DEC 28 - JAN 06 1970.--------------------------------------- एवं प्रवर्तितं चक्रं नानुवर्तयतीह यः।अघायुरिन्द्रियारामो मोघं पार्थ स जीवति।। 16।।यस्त्वात्मरतिरेव स्यादात्मतृप्तश्च मानवः।आत्मन्येव च संतुष्टस्तस्य कार्यं न विद्यते।। 17।।नैव तस्य कृतेनार्थो नाकृतेनेह कश्चन।न चास्य सर्वभूतेषु कश्चिदर्थव्यपाश्रयः।। 18।।हे पार्थ, जो पुरुष इस लोक में इस प्रकार चलाए हुए सृष्टि-चक्र के अनुसार नहीं बर्तता है (अर्थात शास्त्र के अनुसार कर्मों को नहीं करता है), वह इंद्रियों के सुख को भोगने वाला पाप-आयु पुरुष व्यर्थ ही जीता है। परंतु, जो मनुष्य आत्मा ही में प्रीति वाला और आत्मा ही में तृप्त तथा आत्मा में ही संतुष्ट होवे, उसके लिए कोई कर्तव्य नहीं है। क्योंकि, इस संसार में उस पुरुष का किए जाने से भी कोई प्रयोजन नहीं है और न किए जाने से भी कोई प्रयोजन नहीं है तथा इसका संपूर्ण भूतों में कुछ भी स्वार्थ का संबंध नहीं है। तो भी उसके द्वारा केवल लोकहितार्थ कर्म किए जाते हैं।
1h 27m 38s · Jul 23, 2023
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