
Geeta Darshan Vol-18 # Ep.215
Episode · 7 Plays
Episode · 7 Plays · 1:26:02 · Nov 1, 2023
About
DATES AND PLACES : JUL 21 - AUG 10 1975 Eighteenth Chapter from the series of 18 Chapters - Geeta Darshan Vol-18 by Osho. These discourses were given during JUL 21 – AUG 10 1975. --------------------------------------- सर्वगुह्यतमं भूयः श्रृणु मे परमं वचः।इष्टोऽसि मे दृढमिति ततो वक्ष्यामि ते हितम्।। 64।।मन्मना भव मद्भक्तो मद्याजी मां नमस्कुरु।मामेवैष्यसि सत्यं ते प्रतिजाने प्रियोऽसि मे।। 65।।सर्वधर्मान्परित्यज्य मामेकं शरणं व्रज।अहं त्वा सर्वपापेभ्यो मोक्षयिष्यामि मा शुचः।। 66।।इतना कहने पर भी अर्जुन का कोई उत्तर नहीं मिलने के कारण श्रीकृष्ण भगवान फिर बोले कि हे अर्जुन, संपूर्ण गोपनीयों से भी अति गोपनीय मेरे परम रहस्ययुक्त वचन को तू फिर भी सुन, क्योंकि तू मेरा अतिशय प्रिय है, इससे यह परम हितकारक वचन मैं तेरे लिए कहूंगा।हे अर्जुन, तू केवल मुझ परमात्मा में ही अनन्य प्रेम से नित्य-निरंतर अचल मन वाला हो और मुझ परमेश्वर को ही अतिशय श्रद्धा-भक्ति सहित निरंतर भजने वाला हो तथा मन, वाणी और शरीर द्वारा सर्वस्व अर्पण करके मेरा पूजन करने वाला हो और सर्वगुण-संपन्न सबके आश्रयरूप वासुदेव को नमस्कार कर; ऐसा करने से तू मेरे को ही प्राप्त होगा, यह मैं तेरे लिए सत्य प्रतिज्ञा करता हूं, क्योंकि तू मेरा अत्यंत प्रिय सखा है।इसलिए सब धर्मों को अर्थात संपूर्ण कर्मों के आश्रय को त्यागकर केवल एक मुझ सच्चिदानंदघन वासुदेव परमात्मा की ही अनन्य शरण को प्राप्त हो, मैं तेरे को संपूर्ण पापों से मुक्त कर दूंगा; तू शोक मत कर।
1h 26m 2s · Nov 1, 2023
© 2023 Podcaster