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Geeta Darshan Vol-18 # Ep.211

BHAGVAD GITA

Episode   ·  6 Plays

Episode  ·  6 Plays  ·  1:18:01  ·  Oct 30, 2023

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DATES AND PLACES : JUL 21 - AUG 10 1975 Eighteenth Chapter from the series of 18 Chapters - Geeta Darshan Vol-18 by Osho. These discourses were given during JUL 21 – AUG 10 1975. --------------------------------------- स्वे स्वे कर्मण्यभिरतः संसिद्धिं लभते नरः।स्वकर्मनिरतः सिद्धिं यथा विन्दति तच्छृणु।। 45।।यतः प्रवृत्तिर्भूतानां येन सर्वमिदं ततम्‌।स्वकर्मणा तमभ्यर्च्य सिद्धिं विन्दति मानवः।। 46।।श्रेयान्स्वधर्मो विगुणः परधर्मात्स्वनुष्ठितात्‌।स्वभावनियतं कर्म कुर्वन्नाप्नोति किल्बिषम्‌।। 47।।सहजं कर्म कौन्तेय सदोषमपि न त्यजेत्‌।सर्वारम्भा हि दोषेण धूमेनाग्निरिवावृताः।। 48।।एवं इस अपने-अपने स्वाभाविक कर्म में लगा हुआ मनुष्य भगवत्प्राप्तिरूप परम सिद्धि को प्राप्त होता है। परंतु जिस प्रकार से अपने स्वाभाविक कर्म में लगा हुआ मनुष्य परम सिद्धि को प्राप्त होता है, उस विधि को तू मेरे से सुन।हे अर्जुन, जिस परमात्मा से सर्व भूतों की उत्पत्ति हुई है और जिससे यह सर्व जगत व्याप्त है, उस परमेश्वर को अपने स्वाभाविक कर्म द्वारा पूजकर मनुष्य परम सिद्धि को प्राप्त होता है।इसलिए अच्छी प्रकार आचरण किए हुए दूसरे के धर्म से गुणरहित भी अपना धर्म श्रेष्ठ है, क्योंकि स्वभाव से नियत किए हुए स्वधर्मरूप कर्म को करता हुआ मनुष्य पाप को नहीं प्राप्त होता।अतएव हे कुंतीपुत्र, दोषयुक्त भी स्वाभाविक कर्म को नहीं त्यागना चाहिए, क्योंकि धुएं से अग्नि के सदृश सब ही कर्म किसी न किसी दोष से आवृत हैं।

1h 18m 1s  ·  Oct 30, 2023

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