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Geeta Darshan Vol-18 # Ep.210

BHAGVAD GITA

Episode   ·  2 Plays

Episode  ·  2 Plays  ·  1:21:12  ·  Oct 30, 2023

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DATES AND PLACES : JUL 21 - AUG 10 1975 Eighteenth Chapter from the series of 18 Chapters - Geeta Darshan Vol-18 by Osho. These discourses were given during JUL 21 – AUG 10 1975. --------------------------------------- ब्राह्मणक्षत्रियविशां शूद्राणां च परंतप।कर्माणि प्रविभक्तानि स्वभावप्रभवैर्गुणैः।। 41।।शमो दमस्तपः शौचं क्षान्तिरार्जवमेव च।ज्ञानं विज्ञानमास्तिक्यं ब्रह्मकर्म स्वभावजम्‌।। 42।।शौर्यं तेजो धृतिर्दाक्ष्यं युद्धे चाप्यपलायनम्‌।दानमीश्वरभावश्च क्षात्रं कर्म स्वभावजम्‌।। 43।।कृषिगौरक्ष्यवाणिज्यं वैश्यकर्म स्वभावजम्‌।परिचर्यात्मकं कर्म शूद्रस्यापि स्वभावजम्‌।। 44।।इसलिए हे परंतप, ब्राह्मण, क्षत्रिय तथा वैश्यों के तथा शूद्रों के भी कर्म स्वभाव से उत्पन्न हुए गुणों के आधार पर विभक्त किए गए हैं।शम अर्थात अंतःकरण का निग्रह, दम अर्थात इंद्रियों का दमन, शौच अर्थात बाहर-भीतर की शुद्धि, तप अर्थात धर्म के लिए कष्ट सहन करना, क्षांति अर्थात क्षमा-भाव एवं आर्जव अर्थात मन, इंद्रिय और शरीर की सरलता, आस्तिक बुद्धि, ज्ञान और विज्ञान, ये तो ब्राह्मण के स्वाभाविक कर्म हैं।और शौर्य, तेज, धृति अर्थात धैर्य, चतुरता और युद्ध में भी न भागने का स्वभाव एवं दान और स्वामी-भाव, ये सब क्षत्रिय के स्वाभाविक कर्म हैं।तथा खेती, गौपालन और क्रय-विक्रय रूप सत्य व्यवहार, वैश्य के स्वाभाविक कर्म हैं। और सब वर्णों की सेवा करना, यह शूद्र का स्वाभाविक कर्म है।

1h 21m 12s  ·  Oct 30, 2023

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