
Geeta Darshan Vol-17 # Ep.193
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Episode · 1:45:36 · Oct 21, 2023
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DATES AND PLACES : MAY 21-31 1975 Seventeenth Chapter from the series of 18 Chapters - Geeta Darshan Vol-17 by Osho. These discourses were given during MAY 21-31 1975. --------------------------------------- अफलाकांक्षिभिर्यज्ञो विभिदृष्टो य इज्यते।यष्टव्यमेवेति मनः समाधाय स सात्त्विकः।। 11।।अभिसंधाय तु फलं दम्भार्थमपि चैव यत्।इज्यते भरतश्रेष्ठं तं यज्ञं विद्धि राजसम्।। 12।।विधिहीनमसृष्टान्नं मंत्रहीनमदक्षिणम्।श्रद्धाविरहितं यज्ञं तामसं परिच्रते।। 13।।और हे अर्जुन, जो यज्ञ शास्त्र-विधि से नियत किया हुआ है तथा करना ही कर्तव्य है, ऐसे मन को समाधान करके फल को न चाहने वाले पुरुषों द्वारा किया जाता है, यह यज्ञ तो सात्विक है।और हे अर्जुन, जो यज्ञ केवल दंभाचरण के ही लिए अथवा फल को भी उद्देश्य रखकर किया जाता है, उस यज्ञ को तू राजस जान।तथा शास्त्र-विधि से हीन और अन्न-दान से रहित एवं बिना मंत्रों के, बिना दक्षिणा के और बिना श्रद्धा के किए हुए यज्ञ को तामस यज्ञ कहते हैं।
1h 45m 36s · Oct 21, 2023
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