
Geeta Darshan Vol-16 # Ep.186
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Episode · 1:25:09 · Oct 18, 2023
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DATES AND PLACES : MAR 30-APR 06 1974 Sixteenth Chapter from the series of 18 Chapters - Geeta Darshan Vol-16 by Osho. These discourses were given during MAR 30-APR 06 1974. --------------------------------------- आत्मसंभाविताः स्तब्धा धनमानमदान्विताः।यजन्ते नामयज्ञैस्ते दम्भेनाविधिपूर्वकम्।। 17।।अहंकारं बलं दर्पं कामं क्रोधं च संश्रिताः।मामात्मपरदेहेषु प्रद्विषन्तोऽभ्यसूयकाः।। 18।।तानहं द्विषतः क्रूरान्संसारेषु नराधमान्।क्षिपाम्यजस्रमशुभानासुरीष्वेव योनिषु।। 19।।आसुरीं योनिमापन्ना मूढा जन्मनि जन्मनि।मामप्राप्यैव कौन्तेय ततो यान्त्यधमां गतिम्।। 20।।वे अपने आपको ही श्रेष्ठ मानने वाले घमंडी पुरुष धन और मान के मद से युक्त हुए, शास्त्र-विधि से रहित केवल नाममात्र के यज्ञों द्वारा पाखंड से यजन करते हैं।तथा वे अहंकार, बल, घमंड, कामना और क्रोधादि के परायण हुए एवं दूसरों की निंदा करने वाले पुरुष अपने और दूसरों के शरीर में स्थित मुझ अंतर्यामी से द्वेष करने वाले हैं।ऐसे उन द्वेष करने वाले पापाचारी और क्रूरकर्मी नराधमों को मैं संसार में बारंबार आसुरी योनियों में ही गिराता हूं।इसलिए हे अर्जुन, वे मूढ़ पुरुष जन्म-जन्म में आसुरी योनि को प्राप्त हुए, मेरे को न प्राप्त होकर, उससे भी अति नीच गति को ही प्राप्त होते हैं।
1h 25m 9s · Oct 18, 2023
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