
Geeta Darshan Vol-16 # Ep.185
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Episode · 1:26:02 · Oct 17, 2023
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DATES AND PLACES : MAR 30-APR 06 1974 Sixteenth Chapter from the series of 18 Chapters - Geeta Darshan Vol-16 by Osho. These discourses were given during MAR 30-APR 06 1974. --------------------------------------- इदमद्य मया लब्धमिमं प्राप्स्ये मनोरथम्।इदमस्तीदमपि मे भविष्यति पुनर्धनम्।। 13।।असौ मया हतः शत्रुर्हनिष्ये चापरानपि।ईश्वरोऽहमहं भोगी सिद्धोऽहं बलवान्सुखी।। 14।।आढ्योऽभिजनवानस्मि कोऽन्योऽस्ति सदृशो मया।यक्ष्ये दास्यामि मोदिष्य इत्यज्ञानविमोहिताः।। 15।।अनेकचित्तविभ्रान्ता मोहजालसमावृताः।प्रसक्ताः कामभोगेषु पतन्ति नरकेऽशुचौ।। 16।।और उन आसुरी पुरुषों के विचार इस प्रकार के होते हैं, कि मैंने आज यह तो पाया है और इस मनोरथ को प्राप्त होऊंगा तथा मेरे पास यह इतना धन है और फिर भी यह भविष्य में और अधिक होवेगा।तथा वह शत्रु मेरे द्वारा मारा गया और दूसरे शत्रुओं को भी मैं मारूंगा। मैं ईश्वर अर्थात ऐश्वर्यवान हूं और ऐश्वर्य को भोगने वाला हूं और मैं सब सिद्धियों से युक्त एवं बलवान और सुखी हूं।मैं बड़ा धनवान और बड़े कुटुंब वाला हूं; मेरे समान दूसरा कौन है! मैं यज्ञ करूंगा, दान देऊंगा, हर्ष को प्राप्त होऊंगा--इस प्रकार के अज्ञान से आसुरी मनुष्य मोहित हैं।वे अनेक प्रकार से भ्रमित हुए चित्त वाले अज्ञानीजन मोहरूप जाल में फंसे हुए एवं विषय-भोगों में अत्यंत आसक्त हुए महान अपवित्र नरक में गिरते हैं।
1h 26m 2s · Oct 17, 2023
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