
Geeta Darshan Vol-16 # Ep.183
Episode · 0 Play
Episode · 1:25:00 · Oct 16, 2023
About
DATES AND PLACES : MAR 30-APR 06 1974 Sixteenth Chapter from the series of 18 Chapters - Geeta Darshan Vol-16 by Osho. These discourses were given during MAR 30-APR 06 1974. --------------------------------------- प्रवृत्तिं च निवृत्तिं च जना न विदुरासुराः।न शौचं नापि चाचारो न सत्यं तेषु विद्यते।। 7।।असत्यमप्रतिष्ठं ते जगदाहुरनीश्वरम्।अपरस्परसंभूतं किमन्यत्कामहैतुकम्।। 8।।एतां दृष्टिमवष्टभ्य नष्टात्मानोऽल्पबुद्धयः।प्रभवन्त्युग्रकर्माणः क्षयाय जगतोऽहिताः।। 9।।और हे अर्जुन, आसुरी स्वभाव वाले मनुष्य कर्तव्य-कार्य में प्रवृत्त होने को और अकर्तव्य-कार्य से निवृत्त होने को भी नहीं जानते हैं। इसलिए उनमें न तो बाहर-भीतर की शुद्धि है, न श्रेष्ठ आचरण है और न सत्य भाषण ही है।तथा वे आसुरी प्रकृति वाले मनुष्य कहते हैं कि जगत आश्रयरहित है और सर्वथा झूठा है एवं बिना ईश्वर के अपने आप स्त्री-पुरुष के संयोग से उत्पन्न हुआ है। इसलिए जगत केवल भोगों को भोगने के लिए ही है। इसके सिवाय और क्या है?इस प्रकार इस मिथ्या-ज्ञान को अवलंबन करके नष्ट हो गया है स्वभाव जिनका तथा मंद है बुद्धि जिनकी, ऐसे वे सब का अहित करने वाले क्रूरकर्मी मनुष्य केवल जगत का नाश करने के लिए ही उत्पन्न होते हैं।
1h 25m · Oct 16, 2023
© 2023 Podcaster