
Geeta Darshan Vol-15 # Ep.178
Episode · 0 Play
Episode · 1:27:47 · Oct 14, 2023
About
DATES AND PLACES : MAY 05-11 1974. BOMBAY Fifteenth Chapter from the series of 18 Chapters - Geeta Darshan Vol-15 by Osho. These discourses were given in BOMBAY during MAY 05-11 1974. --------------------------------------- द्वाविमौ पुरुषौ लोके क्षरश्चाक्षर एव च।क्षरः सर्वाणि भूतानि कूटस्थोऽक्षर उच्यते।। 16।।उत्तमः पुरुषस्त्वन्यः परमात्मेत्युदाहृतः।यो लोकत्रयमाविश्य बिभर्त्यव्यय ईश्वरः।। 17।।यस्मात्क्षरमतीतोऽहमक्षरादपि चोत्तमः।अतोऽस्मि लोके वेदे च प्रथितः पुरुषोत्तमः।। 18।।हे अर्जुन, इस संसार में क्षर अर्थात नाशवान और अक्षर अर्थात अविनाशी, ये दो प्रकार के पुरुष हैं। उनमें संपूर्ण भूत प्राणियों के शरीर तो क्षर अर्थात नाशवान और कूटस्थ जीवात्मा अक्षर अर्थात अविनाशी कहा जाता है।तथा उन दोनों से उत्तम पुरुष तो अन्य ही है कि जो तीनों लोकों में प्रवेश करके सबका धारण-पोषण करता है एवं अविनाशी ईश्वर और परमात्मा, ऐसे कहा गया है।क्योंकि मैं नाशवान जड़वर्ग क्षेत्र से तो सर्वथा अतीत हूं और माया में स्थित अक्षर, अविनाशी जीवात्मा से भी उत्तम हूं, इसलिए लोक में और वेद में पुरुषोत्तम नाम से प्रसिद्ध हूं।
1h 27m 47s · Oct 14, 2023
© 2023 Podcaster