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Geeta Darshan Vol-15 # Ep.175

BHAGVAD GITA

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Episode  ·  1:26:51  ·  Oct 12, 2023

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DATES AND PLACES : MAY 05-11 1974. BOMBAY Fifteenth Chapter from the series of 18 Chapters - Geeta Darshan Vol-15 by Osho. These discourses were given in BOMBAY during MAY 05-11 1974. --------------------------------------- न तद्भासयते सूर्यो न शशाङ्‌को न पावकः।यद्गत्वा न निवर्तन्ते तद्धाम परमं मम।। 6।।ममैवांशो जीवलोके जीवभूतः सनातनः।मनःषष्ठानीन्द्रियाणि प्रकृतिस्थानि कर्षति।। 7।।शरीरं यदवाप्नोति यच्चाप्युत्क्रामतीश्वरः।गृहीत्वैतानि संयाति वायुर्गन्धानिवाशयात्‌।। 8।।श्रोत्रं च्रुः स्पर्शनं च रसनं घ्राणमेव च।अधिष्ठाय मनश्चायं विषयानुपसेवते।। 9।।उस स्वयं प्रकाशमय परम पद को न सूर्य प्रकाशित कर सकता है, न चंद्रमा और न अग्नि ही प्रकाशित कर सकता है तथा जिस परम पद को प्राप्त होकर मनुष्य पीछे संसार में नहीं आते हैं, वही मेरा परम धाम है।और हे अर्जुन, इस देह में यह जीवात्मा मेरा ही सनातन अंश है और वही इन त्रिगुणमयी माया में स्थित हुई मन सहित पांचों इंद्रियों को आकर्षण करता है।जैसे कि वायु गंध के स्थान से गंध को ग्रहण करके ले जाता है, वैसे ही देहादिकों का स्वामी जीवात्मा भी जिस पहले शरीर को त्यागता है, उससे इन मन सहित इंद्रियों को ग्रहण करके फिर जिस शरीर को प्राप्त होता है, उसमें जाता है।और उस शरीर में स्थित हुआ यह जीवात्मा श्रोत्र, च्रु और त्वचा को तथा रसना, घ्राण और मन को आश्रय करके अर्थात इन सबके सहारे से ही विषयों को सेवन करता है।

1h 26m 51s  ·  Oct 12, 2023

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