
Geeta Darshan Vol-15 # Ep.174
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Episode · 1:31:36 · Oct 12, 2023
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DATES AND PLACES : MAY 05-11 1974. BOMBAY Fifteenth Chapter from the series of 18 Chapters - Geeta Darshan Vol-15 by Osho. These discourses were given in BOMBAY during MAY 05-11 1974. --------------------------------------- न रूपमस्येह तथोपलभ्यतेनान्तो न चादिर्न च संप्रतिष्ठा।अश्वत्थमेनं सुविरूढमूलम्असङ्गशस्त्रेण दृढेन छित्त्वा।। 3।।ततः पदं तत्परिमार्गितव्यंयस्मिन्गता न निवर्तन्ति भूयः।तमेव चाद्यं पुरुषं प्रपद्येयतः प्रवृत्तिः प्रसृता पुराणी।। 4।।निर्मानमोहा जितसङ्गदोषाअध्यात्मनित्या विनिवृत्तकामाः।द्वन्द्वैर्विमुक्ताः सुखदुःखसंज्ञैःगच्छन्त्यमूढाः पदमव्ययं तत्।। 5।।इस संसार-वृक्ष का रूप जैसा कहा है, वैसा यहां नहीं पाया जाता है; क्योंकि न तो इसका आदि है और न अंत है तथा न अच्छी प्रकार से स्थिति ही है। इसलिए इस अहंता, ममता और वासनारूप अति दृढ़ मूलों वाले संसाररूप पीपल के वृक्ष को दृढ़ वैराग्यरूप शस्त्र द्वारा काटकर, उसके उपरांत उस परम पद रूप परमेश्वर को अच्छी प्रकार खोजना चाहिए कि जिसमें गए हुए पुरुष फिर पीछे संसार में नहीं आते हैं।और जिस परमेश्वर से यह पुरातन संसार-वृक्ष की प्रवृत्ति विस्तार को प्राप्त हुई है, उस ही आदि पुरुष के मैं शरण हूं, इस प्रकार दृढ़ निश्चय करके नष्ट हो गया है मान और मोह जिनका तथा जीत लिया है आसक्तिरूप दोष जिन्होंने और परमात्मा के स्वरूप में है निरंतर स्थिति जिनकी तथा अच्छी प्रकार से नष्ट हो गई है कामना जिनकी, ऐसे वे सुख-दुख नामक द्वंद्वों से विमुक्त हुए ज्ञानीजन उस अविनाशी परम पद को प्राप्त होते हैं।
1h 31m 36s · Oct 12, 2023
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