
Geeta Darshan Vol-13 # Ep.157
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Episode · 1:22:51 · Oct 3, 2023
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DATES AND PLACES : MAY 04-13 1973. BOMBAY Thirteenth Chapter from the series of 18 Chapters - Geeta Darshan Vol-13 by Osho. These discourses were given in BOMBAY during MAY 04-13 1973. --------------------------------------- इति क्षेत्रं तथा ज्ञानं ज्ञेयं चोक्तं समासतः।मद्भक्त एतद्विज्ञाय मद्भावायोपपद्यते।। 18।।प्रकृतिं पुरुषं चैव विद्ध्यनादी उभावपि।विकारांश्च गुणांश्चैव विद्धि प्रकृतिसम्भवान्।। 19।।कार्यकरणकर्तृत्वे हेतुः प्रकृतिरुच्यते।पुरुषः सुखदुःखानां भोक्तृत्वे हेतुरुच्यते।। 20।।हे अर्जुन, इस प्रकार क्षेत्र तथा ज्ञान अर्थात ज्ञान का साधन और जानने योग्य परमात्मा का स्वरूप संक्षेप से कहा गया, इसको तत्व से जानकर मेरा भक्त मेरे स्वरूप को प्राप्त होता है।और हे अर्जुन, प्रकृति अर्थात त्रिगुणमयी मेरी माया और पुरुष अर्थात क्षेत्रज्ञ, इन दोनों को ही तू अनादि जान और रागद्वेषादि विकारों को तथा त्रिगुणात्मक संपूर्ण पदार्थों को भी प्रकृति से ही उत्पन्न हुए जान।क्योंकि कार्य और करण के उत्पन्न करने में प्रकृति हेतु कही जाती है और पुरुष सुख-दुखों के भोक्तापन में अर्थात भोगने में हेतु कहा जाता है।
1h 22m 51s · Oct 3, 2023
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