
Geeta Darshan Vol-11 # Ep.136
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Episode · 1:16:43 · Sep 22, 2023
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DATES AND PLACES : JAN 03-14 1973 Eleventh Chapter from the series of 18 Chapters - Geeta Darshan Vol-11 by Osho. These discourses were given during JAN 03-14 1973. --------------------------------------- सखेति मत्वा प्रसभं यदुक्तं हे कृष्ण हे यादव हे सखेति।अजानता महिमानं तवेदं मया प्रमादात्प्रणयेन वापि।। 41।।यच्चावहासार्थमसत्कृतोऽसि विहारशय्यासनभोजनेषु।एकोऽथवाप्यच्युत तत्समक्षं तत्क्षामये त्वामहमप्रमेयम्।। 42।।पितासि लोकस्य चराचरस्य त्वमस्य पूज्यश्च गुरुर्गरीयान्।न त्वत्समोऽस्त्यभ्यधिकः कुतोऽन्यो लोकत्रयेऽप्यप्रतिमप्रभाव।। 43।।तस्मात्प्रणम्य प्रणिधाय कायं प्रसादये त्वामहमीशमीड्यम्।पितेव पुत्रस्य सखेव सख्युः प्रियः प्रियायार्हसि देव सोढुम।। 44।।हे परमेश्वर, सखा ऐसे मानकर आपके इस प्रभाव को न जानते हुए, मेरे द्वारा प्रेम से अथवा प्रमाद से भी, हे कृष्ण, हे यादव, हे सखे, इस प्रकार जो कुछ हठपूर्वक कहा गया है; और हे अच्युत, जो आप हंसी के लिए विहार, शय्या, आसन और भोजनादिकों में अकेले अथवा उन सखाओं के सामने भी अपमानित किए गए हैं, वे सब अपराध, अप्रमेयस्वरूप अर्थात अचिंत्य प्रभाव वाले, आपसे मैं क्षमा कराता हूं।हे विश्वेश्वर, आप इस चराचर जगत के पिता और गुरु से भी बड़े गुरु एवं अति पूजनीय हैं। हे अतिशय प्रभाव वाले, तीनों लोकों में आपके समान भी दूसरा कोई नहीं है, फिर अधिक कैसे होवे।इससे हे प्रभो, मैं शरीर को अच्छी प्रकार चरणों में रखकर और प्रणाम करके स्तुति करने योग्य आप ईश्वर को प्रसन्न होने के लिए प्रार्थना करता हूं। हे देव, पिता जैसे पुत्र के और सखा जैसे सखा के और पति जैसे प्रिय स्त्री के, वैसे ही आप भी मेरे अपराध को सहन करने के लिए योग्य हैं।
1h 16m 43s · Sep 22, 2023
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