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Geeta Darshan Vol-11 # Ep.135

BHAGVAD GITA

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Episode  ·  1:18:39  ·  Sep 21, 2023

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DATES AND PLACES : JAN 03-14 1973 Eleventh Chapter from the series of 18 Chapters - Geeta Darshan Vol-11 by Osho. These discourses were given during JAN 03-14 1973. --------------------------------------- संजय उवाचएतच्छ्रुत्वा वचनं केशवस्य कृताञ्जलिर्वेपमानः किरीटी।नमस्कृत्वा भूय एवाह कृष्णं सगद्गदं भीतभीतः प्रणम्य।। 35।।अर्जुन उवाचस्थाने हृषीकेश तव प्रकीर्त्या जगत्प्रहृष्यनुरज्यते च।रक्षांसि भीतानि दिशो द्रवन्ति सर्वे नमस्यन्ति च सिद्धसंघाः।। 36।।कस्माच्च ते न नमेरन्महात्मन्‌ गरीयसे ब्रह्मणोऽप्यादिकर्त्रे।अनन्त देवेश जगन्निवास त्वमक्षरं सदसत्तत्परं यत्‌।। 37।।त्वमादिदेवः पुरुषः पुराणस्त्वमस्य विश्वस्य परं निधानम्‌।वेत्तासि वेद्यं च परं च धाम त्वया ततं विश्वमनन्तरूप।। 38।।वायुर्यमोऽग्निर्वरुणः शशाङ्‌कः प्रजापतिस्त्वं प्रपितामहश्च।नमो नमस्तेऽस्तु सहस्रकृत्वः पुनश्च भूयोऽपि नमो नमस्ते।। 39।।नमः पुरस्तादथ पृष्ठतस्ते नमोऽस्तु ते सर्वत एव सर्व।अनन्तवीर्यामितविक्रमस्त्वं सर्वं समाप्नोषि ततोऽसि सर्वः।। 40।।इसके उपरांत संजय बोला कि हे राजन्‌, केशव भगवान के इस वचन को सुनकर मुकुटधारी अर्जुन हाथ जोड़े हुए, कांपता हुआ नमस्कार करके, फिर भी भयभीत हुआ प्रणाम करके, भगवान श्रीकृष्ण के प्रति गदगद वाणी से बोला--हे अंतर्यामिन्‌, यह योग्य ही है कि जो आपके नाम और प्रभाव के कीर्तन से जगत अति हर्षित होता है और अनुराग को भी प्राप्त होता है, तथा भयभीत हुए राक्षस लोग दिशाओं में भागते हैं और सब सिद्धगणों के समुदाय नमस्कार करते हैं।हे महात्मन्‌, ब्रह्मा के भी आदि कर्ता और सबसे बड़े आपके लिए वे कैसे नमस्कार नहीं करें, क्योंकि हे अनंत, हे देवेश, हे जगन्निवास, जो सत, असत और उनसे परे अक्षर अर्थात सच्चिदानंदघन ब्रह्म है, वह आप ही हैं।और हे प्रभो, आप आदिदेव और सनातन पुरुष हैं। आप इस जगत के परम आश्रय और जानने वाले तथा जानने योग्य और परम धाम हैं। हे अनंतरूप, आपसे यह सब जगत व्याप्त अर्थात परिपूर्ण है।और आप वायु, यमराज, अग्नि, वरुण, चंद्रमा तथा प्रजा के स्वामी ब्रह्मा और ब्रह्मा के भी पिता हैं। आपके लिए हजारों बार नमस्कार-नमस्कार होवे। आपके लिए फिर भी बारंबार नमस्कार होवे!और हे अनंत सामर्थ्य वाले, आपके लिए आगे से और पीछे से भी नमस्कार होवे। हे सर्वात्मन्‌, आपके लिए सब ओर से नमस्कार होवे, क्योंकि अनंत पराक्रमशाली आप सब संसार को व्याप्त किए हुए हैं, इससे आप ही सर्वरूप हैं।

1h 18m 39s  ·  Sep 21, 2023

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