
Geeta Darshan Vol-11 # Ep.134
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Episode · 1:18:41 · Sep 21, 2023
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DATES AND PLACES : JAN 03-14 1973 Eleventh Chapter from the series of 18 Chapters - Geeta Darshan Vol-11 by Osho. These discourses were given during JAN 03-14 1973. --------------------------------------- श्रीभगवानुवाचकालोऽस्मि लोकक्षयकृत्प्रवृद्धो लोकान्समाहर्तुमिह प्रवृत्तः।ऋतेऽपि त्वां न भविष्यन्ति सर्वे येऽवस्थिताः प्रत्यनीकेषु योधाः।। 32।।तस्मात्त्वमुत्तिष्ठ यशो लभस्व जित्वा शत्रून्भुङ्क्ष्व राज्यं समृद्धम्।मयैवैते निहताः पूर्वमेव निमित्तमात्रं भव सव्यसाचिन्।। 33।।द्रोणं च भीष्मं च जयद्रथं च कर्णं तथान्यानपि योधवीरान्।मया हतांस्त्वं जहि मा व्यथिष्ठा युध्यस्व जेतासि रणे सपत्नान्।। 34।।इस प्रकार अर्जुन के पूछने पर श्रीकृष्ण भगवान बोले, हे अर्जुन, मैं लोकों का नाश करने वाला बढ़ा हुआ महाकाल हूं। इस समय इन लोकों को नष्ट करने के लिए प्रवृत्त हुआ हूं। इसलिए जो प्रतिपक्षियों की सेना में स्थित हुए योद्धा लोग हैं, वे सब तेरे बिना भी नहीं रहेंगे अर्थात तेरे युद्ध न करने से भी सबका नाश हो जाएगा।इससे तू खड़ा हो और यश को प्राप्त कर तथा शत्रुओं को जीतकर धनधान्य से संपन्न राज्य को भोग। और ये सब शूरवीर पहले से ही मेरे द्वारा मारे हुए हैं। हे सव्यसाचिन्, तू तो केवल निमित्तमात्र ही हो जा।तथा इन द्रोणाचार्य और भीष्म पितामह तथा जयद्रथ और कर्ण तथा और भी बहुत-से मेरे द्वारा मारे हुए शूरवीर योद्धाओं को तू मार और भय मत कर, निस्संदेह तू युद्ध में वैरियों को जीतेगा, इसलिए युद्ध कर!
1h 18m 41s · Sep 21, 2023
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