
Geeta Darshan Vol-11 # Ep.132
Episode · 1 Play
Episode · 1 Play · 1:17:34 · Sep 20, 2023
About
DATES AND PLACES : JAN 03-14 1973 Eleventh Chapter from the series of 18 Chapters - Geeta Darshan Vol-11 by Osho. These discourses were given during JAN 03-14 1973. --------------------------------------- रूपं महत्ते बहुवक्त्रनेत्रं महाबाहो बहुबाहूरुपादम्।बहूदरं बहुदंष्ट्राकरालं दृष्ट्वा लोकाः प्रव्यथितास्तथाहम्।। 23।।नभःस्पृशं दीप्तमनेकवर्णं व्यात्ताननं दीप्तविशालनेत्रम्।दृष्ट्वा हि त्वां प्रव्यथितान्तरात्मा धृतिं न विन्दामि शमं च विष्णो।। 24।।दंष्ट्राकरालानि च ते मुखानि दृष्ट्वैव कालानलसन्निभानि।दिशो न जाने न लभे च शर्म प्रसीद देवेश जगन्निवास।। 25।।अमी च त्वां धृतराष्ट्रस्य पुत्राः सर्वे सहैवावनिपालसंघैः।भीष्मो द्रोणः सूतपुत्रस्तथासौ सहास्मदीयैरपि योधमुख्यैः।। 26।।वक्त्राणि ते त्वरमाणा विशन्ति दंष्ट्राकरालानि भयानकानि।केचिद्विलग्ना दशनान्तरेषु संदृश्यन्ते चूर्णितैरुत्तमाङ्गैः।। 27।।यथा नदीनां बहवोऽम्बुवेगाः समुद्रमेवाभिमुखा द्रवन्ति।तथा तवामी नरलोकवीरा विशन्ति वक्त्राण्यभिविज्वलन्ति।। 28।।और हे महाबाहो, आपके बहुत मुख और नेत्रों वाले तथा बहुत हाथ, जंघा और पैरों वाले और बहुत उदरों वाले तथा बहुत-सी विकराल जाड़ों वाले महान रूप को देखकर सब लोक व्याकुल हो रहे हैं तथा मैं भी व्याकुल हो रहा हूं।क्योंकि हे विष्णो, आकाश के साथ स्पर्श किए हुए, देदीप्यमान, अनेक रूपों से युक्त तथा फैलाए हुए मुख और प्रकाशमान विशाल नेत्रों से युक्त आपको देखकर भयभीत अंतःकरण वाला मैं धीरज और शांति को नहीं प्राप्त होता हूं।और हे भगवन्, आपके विकराल जबड़ों वाले और प्रलयकाल की अग्नि के समान प्रज्वलित मुखों को देखकर दिशाओं को नहीं जानता हूं और सुख को भी नहीं प्राप्त होता हूं। इसलिए हे देवेश, हे जगन्निवास, आप प्रसन्न होवें।और मैं देखता हूं कि वे सब ही धृतराष्ट्र के पुत्र, राजाओं के समुदाय सहित आपमें प्रवेश करते हैं और भीष्म पितामह, द्रोणाचार्य, तथा कर्ण और हमारे पक्ष के भी प्रधान योद्धाओं के सहित सब के सब, वेगयुक्त हुए आपके विकराल जाड़ों वाले भयानक मुखों में प्रवेश करते हैं और कई एक चूर्ण हुए सिरों सहित आपके दांतों के बीच में लगे हुए दिखते हैं।और हे विश्वमूर्ते, जैसे नदियों के बहुत-से जल के प्रवाह समुद्र के ही सम्मुख दौड़ते हैं अर्थात समुद्र में प्रवेश करते हैं, वैसे ही वे शूरवीर मनुष्यों के समुदाय भी आपके प्रज्वलित हुए मुखों में प्रवेश करते हैं।
1h 17m 34s · Sep 20, 2023
© 2023 Podcaster