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Geeta Darshan Vol-1 # Ep.02

BHAGVAD GITA

Episode   ·  18 Plays

Episode  ·  18 Plays  ·  1:36:32  ·  Jul 12, 2023

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DATES AND PLACES : NOV 29 - DEC 07 1970. AHMEDABAD First Chapter from the series of 18 Chapters - Geeta Darshan Vol-1 & 2 by Osho. These discourses were given in AHMEDABAD during NOV 29 - DEC 07 1970. --------------------------------------- योत्स्यमानानवेक्षेऽहं य एतेऽत्र समागताः।धार्तराष्ट्रस्य दुर्बुद्धेर्युद्धे प्रियचिकीर्षवः।। 23।। संजय उवाचएवमुक्तो हृषीकेशो गुडाकेशेन भारत।सेनयोरुभयोर्मध्ये स्थापयित्वा रथोत्तमम्‌।। 24।। युद्ध में दुर्बुद्धि दुर्योधन का हित करने की इच्छा वाले ये सब जो यहां इकट्ठे हुए हैं उन योद्धाओं को देखूं, ऐसे मेरे रथ को खड़ा कीजिए। संजय ने कहा: हे भारत धृतराष्ट्र, जब अर्जुन ने भगवान श्रीकृष्ण से यह कहा तब भगवान ने दोनों सेनाओं के बीच में उत्तम रथ को खड़ा करके भीष्म, द्रोण आदि संपूर्ण राजाओं के सम्मुख कहा: हे अर्जुन, इकट्ठे हुए इन कौरवों को देखो। भीष्मद्रोणप्रमुखतः सर्वेषां च महीक्षिताम्‌।उवाच पार्थ पश्यैतान्समवेतान्कुरूनिति।। 25।।तत्रापश्यत्स्थितान्पार्थः पितृनथ पितामहान।आचार्यान्मातुलान्भ्रातृन्पुत्रान्पौत्रान्सखींस्तथा।। 26।।श्वशुरान्सुहृदश्चैव सेनयोरुभयोरपि।तान्समीक्ष्य स कौन्तेयः सर्वान्बन्धूनवस्थितान्‌।। 27।।कृपया परयाविष्टो विषीदन्निदमब्रवीत्‌। अर्जुन उवाचदृष्ट्‌वेमं स्वजनं कृष्ण युयुत्सुं समुपस्थितम्‌।। 28।।सीदन्ति मम गात्राणि मुखं च परिशुष्यति।वेपथुश्च शरीरे मे रोमहर्षश्च जायते।। 29।। अर्जुन ने दोनों ही सेनाओं में पितृव्य, पितामह, आचार्य, मामा, भाई, पुत्र, पौत्र, समवयस्क, ससुर, मित्र, सभी आत्मीय को ही देखा। उन युद्ध के लिए तत्पर सब बंधु-बांधवों को देख कर अर्जुन को उन पर बड़ी दया आई। खिन्न होकर उसने भगवान से यह कहा। अर्जुन ने कहा: हे कृष्ण, युद्ध की इच्छा से उपस्थित इन पुत्र-पौत्र आदि आत्मीय को देख कर मेरा शरीर शिथिल हो रहा है, मुंह सूख रहा है, शरीर में कंप हो रहा है, भय और दुख से रोंगटे खड़े हो रहे हैं।

1h 36m 32s  ·  Jul 12, 2023

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