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Geeta Darshan Vol-1 & 2 # Ep.05

BHAGVAD GITA

Episode   ·  41 Plays

Episode  ·  41 Plays  ·  1:24:04  ·  Jul 14, 2023

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DATES AND PLACES : NOV 29 - DEC 07 1970. AHMEDABAD First & Second Chapter from the series of 18 Chapters - Geeta Darshan Vol-1 & 2 by Osho. These discourses were given in AHMEDABAD during NOV 29 - DEC 07 1970. --------------------------------------- अहो बत महत्पापं कर्तुंव्यवसिता वयम्‌। यद्राज्यसुखलोभेन हन्तुं स्वजनमुद्यताः।। 45।। इसलिए राज्य के सुख के लोभ से हम लोग आत्मीयों का विनाशरूप महापाप करने के लिए जो प्रवृत्त हुए हैं, यह बड़ी आश्चर्य और खेदजनक घटना है। यदि मामप्रतीकारमशस्त्रं शस्त्रपाणयः। धार्तराष्ट्रा रणे हन्युस्तन्मे क्षेमतरं भवेत्‌।। 46।। यदि किसी प्रकार की प्रतिक्रिया न करने वाले मुझको शस्त्रधारी धृतराष्ट्र के पुत्र आदि संबंधी रण में मार डालें, तो उनके द्वारा मेरा मरना मेरे लिए अधिक हितकर होगा। संजय उवाच एवमुक्त्वार्जुनः संख्ये रथोपस्थ उपाविशत्‌। विसृज्य सशरं चापं शोकसंविग्नमानसः।। 47।। संजय ने कहा: यह कह कर शोक-संतप्त अर्जुन रथ में अपने सब शस्त्रों को रख कर रथ के ऊपर चुपचाप बैठ गया। अथ द्वितीयोऽध्यायः संजय उवाच तं तथा कृपयाविष्टमश्रुपूर्णाकुलेक्षणम्‌। विषीदन्तमिदं वाक्यमुवाच मधुसूदनः।। 1।। संजय ने कहा: उस प्रकार दया आदि गुणों से युक्त जिसके नेत्र आंसुओं से भर गए हैं तथा विषाद कर रहे अर्जुन से भगवान ने निम्न निर्दिष्ट वचन कहे। श्रीभगवानुवाच कुतस्त्वा कश्मलमिदं विषमे समुपस्थितम्‌। अनार्यजुष्टमस्वर्ग्यमकीर्तिकरमर्जुन।। 2।। क्लैब्यं मा स्म गमः पार्थ नैतत्त्वय्युपपद्यते। क्षुद्रं हृदयदौर्बल्यं त्यक्त्वोत्तिष्ठ परंतप।। 3।। श्री भगवान ने कहा: हे अर्जुन, इस विषम परिस्थिति में तुम्हें यह मोह कैसे प्राप्त हुआ--जो अनार्यों से सेवित है, परलोक में दुर्गतिकारक है और इस लोक में अपयश देने वाला है? हे पार्थ, इस कातरपन को छोड़ो, क्योंकि तुम्हारे जैसे पुरुषों के लिए यह शोभा नहीं देता। हे शत्रुनाशक, अधम बनाने वाली हृदय की दुर्बलता का परित्याग कर युद्ध के लिए तैयार हो जाओ।

1h 24m 4s  ·  Jul 14, 2023

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