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Champa Kale Kale Acchar Nahi Cheenti | Trilochan

Pratidin Ek Kavita

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Episode  ·  3:10  ·  Dec 19, 2025

About

चंपा काले काले अच्छर नहीं चीन्हती । त्रिलोचनचंपा काले-काले अच्छर नहीं चीन्हतीमैं जब पढ़ने लगता हूँ वह आ जाती हैखड़ी-खड़ी चुपचाप सुना करती हैउसे बड़ा अचरज होता है :इन काले चिन्हों से कैसे ये सब स्वरनिकला करते हैंचंपा सुंदर की लड़की हैसुंदर ग्वाला है : गायें-भैंसे रखता हैचंपा चौपायों को लेकरचरवाही करने जाती हैचंपा अच्छी हैचंचल हैन ट ख ट भी हैकभी-कभी ऊधम करती हैकभी-कभी वह क़लम चुरा देती हैजैसे तैसे उसे ढूँढ़ कर जब लाता हूँपाता हूँ—अब काग़ज़ ग़ायबपरेशान फिर हो जाता हूँचंपा कहती है :तुम कागद ही गोदा करते हो दिन भरक्या यह काम बहुत अच्छा हैयह सुनकर मैं हँस देता हूँफिर चंपा चुप हो जाती हैउस दिन चंपा आई, मैंने कहा किचंपा, तुम भी पढ़ लोहारे गाढ़े काम सरेगागांधी बाबा की इच्छा है—सब जन पढ़ना-लिखना सीखेंचंपा ने यह कहा किमैं तो नहीं पढ़ूँगीतुम तो कहते थे गांधी बाबा अच्छे हैंवे पढ़ने लिखने की कैसे बात कहेंगेमैं तो नहीं पढ़ूँगीमैंने कहा कि चंपा, पढ़ लेना अच्छा हैब्याह तुम्हारा होगा, तुम गौने जाओगी,कुछ दिन बालम संग साथ रह चला जाएगा जब कलकत्ताबड़ी दूर है वह कलकत्ताकैसे उसे सँदेसा दोगीकैसे उसके पत्र पढ़ोगीचंपा पढ़ लेना अच्छा है!चंपा बोली : तुम कितने झूठे हो, देखा,हाय राम, तुम पढ़ लिखकर इतने झूठे होमैं तो ब्याह कभी न करूँगीऔर कहीं जो ब्याह हो गयातो मैं अपने बालम को संग साथ रखूँगीकलकत्ता मैं कभी न जाने दूँगीकलकत्ते पर बजर गिरे।

3m 10s  ·  Dec 19, 2025

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