
Azad Hind - Shri Krishna Saral
Episode · 9 Plays
Episode · 9 Plays · 25:12 · Jan 1, 2023
About
श्रीकृष्ण सरल एक भारतीय कवि एवं लेखक थे। भारतीय क्रांतिकारियों पर उन्होंने अनेक पुस्तकें लिखीं जिनमें पन्द्रह महाकाव्य हैं। सरल जी ने अपना सम्पूर्ण लेखन भारतीय क्रांतिकारियों पर ही किया है। उन्होने लेखन में कई विश्व कीर्तिमान स्थापित किए हैं। सर्वाधिक क्रांति-लेखन और सर्वाधिक महाकाव्य (पन्द्रह) लिखने का श्रेय सरलजी को ही जाता है। उनके द्वारा भारतीय सैनिकों की बलिदानी परमपराओं का स्मरण कराते राष्ट्रवादी काव्य के लिए उन्हें 'युग-चारण' भी कहा जाता है। उनके द्वारा रचित "मैं अमर शहीदों का चारण" हिंदी भाषा की एक लोकप्रिय कविता है। मध्य प्रदेश की साहित्य अकादमी द्वारा श्रीकृष्ण सरल के नाम पर कविता के लिए "श्रीकृष्ण सरल पुरस्कार" प्रति वर्ष प्रदान किया जाता है। श्रीकृष्ण सरल जन्म ०१ जनवरी १९१९ ई० को मध्य प्रदेश के गुना जिले के अशोक नगर में हुआ। इनके पिता का नाम श्री भगवती प्रसाद तथा माता का नाम यमुना देवी था। सरल जी शासकीय शिक्षा महा विद्यालय, उज्जैन में प्रोफेसर के पद पर कार्यरत रहे। वे स्वयं स्वतंत्रता संग्राम सेनानी रहे तथा अध्यापक के पद से निवृत्त होकर आजीवन साहित्य-साधना में रत रहे। उन्हें विभिन्न संस्थाओं द्वारा ‘भारत गौरव’, ‘राष्ट्र कवि’, ‘क्रांति-कवि’, ‘क्रांति-रत्न’, ‘अभिनव-भूषण’, ‘मानव-रत्न’, ‘श्रेष्ठ कला-आचार्य’ आदि अलंकरणों से विभूषित किया गया। राजर्षि पुरुषोत्तमदास टण्डन से प्रेरित, शहीद भगतसिंह की माता श्रीमती विद्यावती जी के सानिध्य एवं विलक्षण क्रांतिकारियों के समीपी प्रो॰ सरल ने प्राणदानी पीढ़ियों के व्यक्तित्व एवं कृतित्व को अपने साहित्य का विषय बनाया। वे स्वयं को 'शहीदों का चारण' कहते थे। सुप्रसिद्ध साहित्यकार पं॰ बनारसीदास चतुर्वेदी ने कहा- 'भारतीय शहीदों का समुचित श्राद्ध श्री सरल ने किया है।' महान क्रान्तिकारी पं॰ परमानन्द का कथन है— 'सरल जीवित शहीद हैं।' जीवन के उत्तरार्ध में सरल जी आध्यात्मिक चिन्तन से प्रभावित होकर तीन महाकाव्य लिखे— तुलसी मानस, सरल रामायण एवं सीतायन। प्रो॰ सरल ने व्यक्तिगत प्रयत्नों से 15 महाकाव्यों सहित 124 ग्रन्थ लिखे उनका प्रकाशन कराया और स्वयं अपनी पुस्तकों की ५ लाख प्रतियाँ बेच लीं। क्रान्ति कथाओं का शोधपूर्ण लेखन करने के सन्दर्भ में स्वयं के खर्च पर १० देशों की यात्रा की। पुस्तकों के लिखने और उन्हें प्रकाशित कराने में सरल जी की अचल सम्पत्ति से लेकर पत्नी के आभूषण तक बिक गए। पाँच बार सरल जी को हृदयाघात हुआ पर उनकी कलम जीवन की अन्तिम साँस तक नहीं रुकी। सरल जी का निधन ०२ सितम्बर २०००ई० को हुआ।
25m 12s · Jan 1, 2023
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