
ग़ज़ल- कभी ख़ुद पे कभी हालात पे रोना आया
Hindi Poems by Vivek (विवेक की हिंदी कवितायेँ)
Episode · 8 Plays
Episode · 8 Plays · 3:33 · May 6, 2023
About
कभी ख़ुद पे कभी हालात पे रोना आया बात निकली तो हर इक बात पे रोना आया साहिर उस दौर के शायर थे जब शायरी ग़म-ए-जानाँ तक न सिमट ग़म-ए-दौराँ की बात करने लगी थी। इस ग़ज़ल का मतला भी ऐसा ही है जो न सिर्फ खुद के गम पर हालात के गम का ज़किर भी करता है। आज इसी ग़ज़ल में कुछ और अशआर जोड़ने की हिमाकत की है। मुलाइज़ा फरमाइयेगा।
3m 33s · May 6, 2023
© 2023 Podcaster