
हम दोनों (Two of Us) - Extended Version
Hindi Poems by Vivek (विवेक की हिंदी कवितायेँ)
Episode · 9 Plays
Episode · 9 Plays · 3:38 · Jun 12, 2021
About
हम दोनों हम दोनों नदिया के तीरे मध्य हमारे अविरल धारा अलग अलग अपनी दुनिया पर अनाद्यनंत रहे साथ हमारा अलग अलग अपनी राहें हैं अपनी अपनी जिम्मेदारी अपनी खुशियां, अपने दुःख हैं फिर भी अपनी साझेदारी मेरे तट पर जब मावस का घना अँधेरा छा जाता है तेरे तट का पूनम चन्दा मेरा मन भी बहलाता है तेरे तट पर जब आंधी में पुष्प लताएं सिहराती हैं मेरे तट के वट वृक्षों की शाख उधर ही बढ़ जाती हैं ग्रीष्म ऋतू में तप्त हवायें जब मेरे तट को झुलसाती हैं तेरे तट से मंद बयारें मरहम बन कर आ जाती हैं तेरे तट पर जब सर्दी में हिम की चादर बिछ जाती हैं मेरे आलिंगन की गर्मी ले शुष्क हवायें उड़ जाती हैं कभी कोई पर्ण मेरे तट से तेरे तट तक बह जाता है अनकही बातों को मेरी कान में तेरे कह जाता है और कभी हवा का झोंका तेरे तट से आ जाता है तेरी श्वासों की खुशबू से मेरा तट महका जाता है एक तट पर एकाकीपन की नीरवता जब छा जाती है दूजे तट से एक सोन चिरैया गीत हर्ष के गा जाती है नहीं किये कोई वादे हमने कोई वचन न तोड़े हैं जीवन की ये बहती नदिया हम दोनों को जोड़े है - विवेक (सर्व अधिकार सुरक्षित, All Rights Reserved)
3m 38s · Jun 12, 2021
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