Episode image

संभूत-असंभूत: ईशावास्योपनिषद् का द्वंद्व ज्ञान

एकादशोपनिषद प्रसाद

Episode   ·  7 Plays

Episode  ·  7 Plays  ·  16:37  ·  Oct 6, 2025

About

"एकादशोपनिषद प्रसाद" के इस दसवें अध्याय में हम ईशावास्योपनिषद के द्वादश और त्रयोदश श्लोकों के गहन अर्थ की चर्चा करेंगे — संभूत (सृष्टि) और असंभूत (विनाश) के द्वंद्व और उनके समग्र संतुलन को समझते हुए।इन श्लोकों में उपनिषद यह सिखाता है कि जीवन में केवल सृष्टि या विनाश के प्रति आसक्ति हमें अंधकार की ओर ले जाती है। सृष्टि भौतिक जीवन का प्रतीक है, और विनाश आत्मिक बोध का द्वार। जब व्यक्ति इन दोनों के संतुलन को समझ लेता है, तभी वह मोक्ष की दिशा में अग्रसर होता है।इस चर्चा में गीता और मुण्डक उपनिषद के सन्दर्भों के साथ यह भी स्पष्ट किया गया है कि ब्रह्म ही सृष्टि और विनाश दोनों का मूल है। सृष्टि और विनाश के पार जो सत्य है — वही आत्मा का परम स्वरूप है।यह एपिसोड श्रोताओं को यह सोचने के लिए प्रेरित करेगा कि जीवन में निर्माण और विनाश, दोनों ही एक ही ईश्वरीय लीला के दो पहलू हैं — और इन्हें समझना ही सच्चा आत्मज्ञान है।#एकादशोपनिषदप्रसाद #ईशावास्योपनिषद #संभूत_और_असंभूत #UpanishadPodcast #VedantaWisdom #SpiritualKnowledge #IshaUpanishad #IndianPhilosophy #Advaita #SelfRealization #ज्ञान_और_मोक्ष #UpanishadicThoughts

16m 37s  ·  Oct 6, 2025

© 2025 Podcaster