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बेथलेहेम कि ओर यात्रा - प्रभु येसु का जन्मोत्सव

Greater Glory of God

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Episode  ·  16:19  ·  Dec 25, 2020

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Greater Glory of God   प्रस्तुत करता है   आगमन काल विशेष   बेथलेहेम कि ओर यात्रा  आगमन काल में 26 व्यक्तियों के साथ बेथलेहेम कि ओर यात्रा  प्रभु येसु का जन्मोत्सव   लूकस 01  प्रभु के जन्म का सन्देश  26) छठे महीने स्वर्गदूत गब्रिएल, ईश्वर की ओर से, गलीलिया के नाजरेत नामक नगर में एक कुँवारी के पास भेजा गया, 27) जिसकी मँगनी दाऊद के घराने के यूसुफ़ नामक पुरुष से हुई थी, और उस कुँवारी का नाम था मरियम। 28) स्वर्गदूत मे उसके यहाँ अन्दर आ कर उससे कहा, “प्रणाम, प्रभु की कृपापात्री! प्रभु आपके साथ है।" 29) वह इन शब्दों से घबरा गयी और मन में सोचती रही कि इस प्रणाम का अभिप्राय क्या है। 30) तब स्वर्गदूत ने उस से कहा, "मरियम! डरिए नहीं। आप को ईश्वर की कृपा प्राप्त है। 31) देखिए, आप गर्भवती होंगी, पुत्र प्रसव करेंगी और उनका नाम ईसा रखेंगी। 32) वे महान् होंगे और सर्वोच्च प्रभु के पुत्र कहलायेंगे। प्रभु-ईश्वर उन्हें उनके पिता दाऊद का सिंहासन प्रदान करेगा, 33) वे याकूब के घराने पर सदा-सर्वदा राज्य करेंगे और उनके राज्य का अन्त नहीं होगा।" 34) पर मरियम ने स्वर्गदूत से कहा, "यह कैसे हो सकता है? मेरा तो पुरुष से संसर्ग नहीं है।" 35) स्वर्गदूत ने उत्तर दिया, "पवित्र आत्मा आप पर उतरेगा और सर्वोच्च प्रभु की शक्ति की छाया आप पर पड़ेगी। इसलिए जो आप से उत्पन्न होंगे, वे पवित्र होंगे और ईश्वर के पुत्र कहलायेंगे। 36) देखिए, बुढ़ापे में आपकी कुटुम्बिनी एलीज़बेथ के भी पुत्र होने वाला है। अब उसका, जो बाँझ कहलाती थी, छठा महीना हो रहा है; 37) क्योंकि ईश्वर के लिए कुछ भी असम्भव नहीं है।" 38) मरियम ने कहा, "देखिए, मैं प्रभु की दासी हूँ। आपका कथन मुझ में पूरा हो जाये।" और स्वर्गदूत उसके पास से चला गया।    योहन 01   1) आदि में शब्द था, शब्द ईश्वर के साथ था और शब्द ईश्वर था। 2) वह आदि में ईश्वर के साथ था। 3) उसके द्वारा सब कुछ उत्पन्न हुआ। और उसके बिना कुछ भी उत्पन्न नहीं हुआ। 4) उस में जीवन था, और वह जीवन मनुष्यों की ज्योति था। 5) वह ज्योति अन्धकार में चमकती रहती है- अन्धकार ने उसे नहीं बुझाया। 10) वह संसार में था, संसार उसके द्वारा उत्पन्न हुआ; किन्तु संसार ने उसे नहीं पहचाना। 11) वह अपने यहाँ आया और उसके अपने लोगों ने उसे नहीं अपनाया। 12) जितनों ने उसे अपनाया, और जो उसके नाम में विश्वास करते हैं, उन सब को उसने ईश्वर की सन्तति बनने का अधिकार दिया। 13) वे न तो रक्त से, न शरीर की वासना से, और न मनुष्य की इच्छा से, बल्कि ईश्वर से उत्पन्न हुए हैं। 14) शब्द ने शरीर धारण कर हमारे बीच निवास किया। हमने उसकी महिमा देखी। वह पिता के एकलौते की महिमा-जैसी है- अनुग्रह और सत्य से परिपूर्ण। 15) योहन ने पुकार-पुकार कर उनके विषय में यह साक्ष्य दिया, "यह वहीं हैं, जिनके विषय में मैंने कहा- जो मेरे बाद आने वाले हैं, वह मुझ से बढ़ कर हैं; क्योंकि वह मुझ से पहले विद्यमान थे।" 16) उनकी परिपूर्णता से हम सब को अनुग्रह पर अनुग्रह मिला है। 17) संहिता तो मूसा द्वारा दी गयी है, किन्तु अनुग्रह और सत्य ईसा मसीह द्वारा मिला है। 18) किसी ने कभी ईश्वर को नहीं देखा; पिता की गोद में रहने वाले एकलौते, ईश्वर, ने उसे प्रकट किया है।    इब्रानियों के नाम पत्र 01   1) प्राचीन काल में ईश्वर बारम्बार और विविध रूपों में हमारे पुरखों से नबियों द्वारा बोला था। 2) अब अन्त में वह हम से पुत्र द्वारा बोला है। उसने उस पुत्र के द्वारा समस्त विश्व की सृष्टि की और उसी को सब कुछ का उत्तराधिकारी नियुक्त किया है। 3) वह पुत्र अपने पिता की महिमा का प्रतिबिम्ब और उसके तत्व का प्रतिरूप है। वह पुत्र अपने शक्तिशाली शब्द द्वारा समस्त सृष्टि को बनाये रखता है। उसने हमारे पापों का प्रायश्चित किया और अब वह सर्वशक्तिमान् ईश्वर के दाहिने विराजमान है। 4) उसका स्थान स्वर्गदूतों से ऊँचा है; क्योंकि जो नाम उसे उत्तराधिकार में मिला है, वह उनके नाम से कहीं अधिक श्रेष्ठ है। 5) क्या ईश्वर ने कभी किसी स्वर्गदूत से यह कहा- तुम मेरे पुत्र हो, आज मैंने तुम्हें उत्पन्न किया है और मैं उसके लिए पिता बन जाऊँगा और वह मेरा पुत्र होगा? 6) फिर वह अपने पहलौठे को संसार के सामने प्रस्तुत करते हुए कहता है- ईश्वर के सभी स्वर्गदूत उसकी आराधना करें

16m 19s  ·  Dec 25, 2020

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