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पवित्र पुण्य भारती (Pavitra Punya Bharti)

Hindi Poems by Vivek (विवेक की हिंदी कवितायेँ)

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Episode  ·  3:19  ·  Jan 24, 2025

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पवित्र पुण्य भारती (पञ्चचामर छंद)भले अनेक धर्म हों, परन्तु एक धाम है।पवित्र पुण्य भारती, प्रणाम है प्रणाम है॥समान सर्व प्राण हैं, विधान संविधान है।महान लोकतंत्र है, स्वतंत्रता महान है।तिरंग हाथ में उठा, कि आन बान शान है।कि कोटि कंठ गूंजता, सुभाष राष्ट्र गान है।ललाट गर्व से उठा, न शीश ये कभी झुका।सदैव साथ देश का, स्वदेश भक्ति काम है॥पवित्र पुण्य भारती, प्रणाम है प्रणाम है॥अनेक पुष्प हैं लगे, परन्तु एक हार है।अनेक ग्रन्थ हैं यहाँ, हितोपदेश सार है।अनेक हाथ जो मिले, प्रचंड मुष्टि वार है। समक्ष शत्रु जो मिले, लहू सनी कटार है।अदम्य वीर साहसी, सपूत मात के वही।कि काट शीश जो धरे, वही रहीम राम है॥पवित्र पुण्य भारती, प्रणाम है प्रणाम है॥ दिपावली कि ईद हो, नमाज़ हो कि आरती।विभिन्न पंथ पर्व से, वसुंधरा सँवारती।अनेक भिन्न बोलियाँ, सुपुत्र को पुकारती।निनाद नृत्य गान से, प्रसन्न भव्य भारती।नई उड़ान है यहाँ, नया यहाँ प्रभात है।ममत्व मातृ अंक में, मिला मुझे विराम है॥पवित्र पुण्य भारती, प्रणाम है प्रणाम है॥स्वरचितविवेक अग्रवाल 'अवि'You can write to me on HindiPoemsByVivek@Gmail.com

3m 19s  ·  Jan 24, 2025

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