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केनोपनिषद् मंगलाचरण: आत्म–ब्रह्म योग

एकादशोपनिषद प्रसाद

Episode   ·  35 Plays

Episode  ·  35 Plays  ·  16:21  ·  Nov 30, 2025

About

इस कड़ी में हम केनोपनिषद् के मंगलाचरण श्लोक का गहन मर्म समझते हैं—जहाँ साधक अपनी वाणी, प्राण और इंद्रियों के पुष्ट व पवित्र होने की प्रार्थना करता है।यह प्रार्थना बताती है किइंद्रियों की शुद्धि, मन की स्थिरता और प्राण की शक्तिब्रह्म ज्ञान को आत्मसात करने की अनिवार्य शर्तें हैं।मंगलाचरण का संदेश है—“मैं ब्रह्म को न नकारूँ, और ब्रह्म मुझे न नकारे।”यही आत्मा और परमात्मा की अद्वैत एकता है,जिसे वेदांत “आत्म–ब्रह्म योग” कहता है।इस श्लोक में त्रिविध शांति—आधिभौतिक, आधिदैविक, और आध्यात्मिक शांति—की भी प्रार्थना की गई है,जो उपनिषदों की वैश्विक शांति की दृष्टि को दर्शाती है।सुनिए एकादशोपनिषद प्रसाद के इस अध्यात्मिक एपिसोड में—“केनोपनिषद् मंगलाचरण: आत्म–ब्रह्म योग”✨ नया एपिसोड हर सोमवार।#एकादशोपनिषदप्रसाद#Kenopanishad#KenaUpanishad#KenopanishadPrasad#UpanishadWisdom#VedicKnowledge#RameshChauhan#AtmaBrahmaYoga#Vedanta#SpiritualPodcast#Mangalacharan#VedicPrayers#HinduPhilosophy#SelfRealization#AtmaGyan#BrahmaGyan#ChaitanyaSamvad#TriShanti#ShantiMantra

16m 21s  ·  Nov 30, 2025

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