
इश्क़ दोबारा (Love Again)
Hindi Poems by Vivek (विवेक की हिंदी कवितायेँ)
Episode · 1 Play
Episode · 1 Play · 2:17 · Oct 1, 2023
About
एक किताब सा मैं जिसमें तू कविता सी समाई है, कुछ ऐसे ज्यूँ जिस्म में रुह रहा करती है। मेरी जीस्त के पन्ने पन्ने में तेरी ही रानाई है, कुछ ऐसे ज्यूँ रगों में ख़ून की धारा बहा करती है। एक मर्तबा पहले भी तूने थी ये किताब सजाई, लिखकर अपनी उल्फत की खूबसूरत नज़्म। नीश-ए-फ़िराक़ से घायल हुआ मेरा जिस्मोजां, तेरे तग़ाफ़ुल से जब उजड़ी थी ज़िंदगी की बज़्म। सूखी नहीं है अभी सुर्ख़ स्याही से लिखी ये इबारतें, कहीं फ़िर से मौसम-ए-बाराँ में धुल के बह ना जायें। ए'तिमाद-ए-हम-क़दमी की छतरी को थामे रखना, शक-ओ-शुबह के छींटे तक इस बार पड़ ना पायें। Write to me at HindiPoemsByVivek@Gmail.com
2m 17s · Oct 1, 2023
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