
Rani Chenamma - yaad karo Kurbani
Episode · 10 Plays
Episode · 10 Plays · 52:29 · Feb 2, 2023
About
रानी चेनम्मा भारत के कर्नाटक के कित्तूर राज्य की रानी थीं। सन् १८२४ में उन्होने हड़प नीति के विरुद्ध अंग्रेजों से सशस्त्र संघर्ष किया था। संघर्ष में वह वीरगति को प्राप्त हुईं। भारत में उन्हें भारत की स्वतंत्रता के लिये संघर्ष करने वाले सबसे पहले शासकों में उनका नाम लिया जाता है। रानी चेनम्मा के साहस एवं उनकी वीरता के कारण देश के विभिन्न हिस्सों खासकर कर्नाटक में उन्हें विशेष सम्मान हासिल है और उनका नाम आदर के साथ लिया जाता है। झांसी की रानी लक्ष्मीबाई के संघर्ष के पहले ही रानी चेनम्मा ने युद्ध में अंग्रेजों के दांत खट्टे कर दिए थे। हालांकि उन्हें युद्ध में सफलता नहीं मिली और उन्हें कैद कर लिया गया। अंग्रेजों के कैद में ही रानी चेनम्मा का निधन हो गया कर्नाटक में बेलगाम के पास एक गांव ककती में १७७८ को पैदा हुई चेन्नम्मा के जीवन में प्रकृति ने कई बार क्रूर मजाक किया। पहले पति का निधन हो गया। कुछ साल बाद एकलौते पुत्र का भी निधन हो गया और वह अपनी मां को अंग्रेजों से लड़ने के लिए अकेला छोड़ गया। बचपन से ही घुड़सवारी, तलवारवाजी, तीरंदाजी में विशेष रुचि रखने वाली रानी चेन्नम्मा की शादी बेलगाम में कित्तूर राजघराने में हुई। राजा मल्लासारजा की रानी चेनम्मा ने पुत्र की मौत के बाद शिवलिंगप्पा को अपना उत्ताराधिकारी बनाया। अंग्रेजों ने रानी के इस कदम को स्वीकार नहीं किया और शिवलिंगप्पा को पद से हटाने का आदेश दिया। यहीं से उनका अंग्रेजों से टकराव शुरू हुआ और उन्होंने अंग्रेजों का आदेश स्वीकार करने से इनकार कर दिया। अंग्रेजों की नीति 'डाक्ट्रिन ऑफ लैप्स' के तहत दत्तक पुत्रों को राज करने का अधिकार नहीं था। ऐसी स्थिति आने पर अंग्रेज उस राज्य को अपने साम्राज्य में मिला लेते थे। कुमार के अनुसार रानी चेन्नम्मा और अंग्रेजों के बीच हुए युद्ध में इस नीति की अहम भूमिका थी। १८५७ के आंदोलन में भी इस नीति की प्रमुख भूमिका थी और अंग्रेजों की इस नीति सहित विभिन्न नीतियों का विरोध करते हुए कई रजवाड़ों ने स्वतंत्रता संग्राम में भाग लिया था। डाक्ट्रिन ऑफ लैप्स के अलावा रानी चेन्नम्मा का अंग्रेजों की कर नीति को लेकर भी विरोध था और उन्होंने उसे मुखर आवाज दी। रानी चेन्नम्मा पहली महिलाओं में से थीं जिन्होंने अनावश्यक हस्तक्षेप और कर संग्रह प्रणाली को लेकर अंग्रेजों का विरोध किया। अंग्रेजों के खिलाफ युद्ध में रानी चेन्नम्मा ने अपूर्व शौर्य का प्रदर्शन किया, लेकिन वह लंबे समय तक अंग्रेजी सेना का मुकाबला नहीं कर सकी। उन्हें कैद कर बेलहोंगल किले में रखा गया जहां उनकी २१ फरवरी १८२९ को उनकी मौत हो गई। पुणे-बेंगलूरु राष्ट्रीय राजमार्ग पर बेलगाम के पास कित्तूर का राजमहल तथा अन्य इमारतें गौरवशाली अतीत की याद दिलाने के लिए मौजूद हैं।
52m 29s · Feb 2, 2023
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