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परिकल्पना : सजीव सारथी ।। आलेख : सुजॉय चटर्जी ।। वाचन : रचिता देशपांडे ।। प्रस्तुति : संज्ञा टंडन ।। नमस्कार दोस्तों, ’एक गीत सौ अफ़साने’ की एक और कड़ी के साथ हम फिर हाज़िर हैं। फ़िल्म और ग़ैर-फ़िल्म-संगीत की रचना प्रक्रिया और उनके विभिन्न पहलुओं से सम्बन्धित रोचक प्रसंगों, दिलचस्प क़िस्सों और यादगार घटनाओं को समेटता है ’रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ का यह साप्ताहिक स्तम्भ। विश्वसनीय सूत्रों से प्राप्त जानकारियों और हमारे शोधकर्ताओं के निरन्तर खोज-बीन से इकट्ठा किए तथ्यों से परिपूर्ण है ’एक गीत सौ अफ़साने’ की यह श्रॄंखला। दोस्तों, आज के अंक के लिए हमने चुना है साल 1986 की फ़िल्म ’नाम’ का गीत "चिट्ठी आयी है वतन से चिट्ठी आयी है"। पंकज उधास और साथियों की आवाज़ें, आनन्द बक्शी के बोल, और लक्ष्मीकान्त-प्यारेलाल का संगीत। निर्माता राजेन्द्र कुमार को पंकज उधास से इस फ़िल्म में यह आइटम गीत गवाने का ख़याल कैसे आया? पंकज उधास ने इस गीत को गाने का न्योता स्वीकारते हुए राजेन्द्र कुमार से माफ़ी क्यों मांगी? इस गीत की रेकॉर्डिंग करते समय संगीतकार लक्ष्मीकान्त ने फ़िल्मी गीत के रेकॉर्डिंग तकनीक की कौन सी प्रचलित परम्परा को तोड़ी? सिबाका गीतमाला के वार्षिक कार्यक्रम में प्रथम स्थान प्राप्त करने के बावजूद इस गीत को फ़िल्मफ़ेयर पुरस्कार क्यों नहीं मिल पाया? BBC Radio की ओर से इस गीत को कैसा सम्मान मिला? ये सब, आज के इस अंक में।
14m 18s · Mar 13, 2024
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