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काव्य तरंग // रीतेश खरे // ओपन माइक // नदी है, तो उम्मीद है

Kaavya Tarang

Episode   ·  3 Plays

Episode  ·  3 Plays  ·  7:54  ·  May 29, 2021

About

सभ्यताओं की जननी है नदी, उसके हृदय की पीड़ा को शब्द देते हुए, उसे ही उम्मीद का एक आसरा बताते हुए, काव्याभियक्ति दे रहे हैं रीतेश खरे। आवाज़   -  रीतेश खरे आलेख   -  रीतेश व रूपेश खरे कवितायें -  श्री रमेश कुमार 'राजकान्हा' और रीतेश खरे रिकॉर्डिंग-सम्पादन - विकेश खरे तकनीकी सहायता - अमित तिवारी आर्ट वर्क - मनुज मेहता, अमित तिवारी

7m 54s  ·  May 29, 2021

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