Mere Khuda Lyrics
जिस्म इस तरह दर्द से भरा
रूह की कोई बची नहीं जगह
प्यार ढाल था, मगर निढाल सा
मुझे ही लूटती रही मेरी पनाह
धीरे-धीरे जल रहा, जल के पिघल रहा
बहता चला है दिल मेरा
मैं हूँ क्या, मेरे ख़ुदा?
काटूँ मैं क्यूँ ये सज़ा, पिया?
काहे पहले मिलाए
जब आख़िर ही जुदाई है?
दिल से क्यूँ खेले बता?
देख प्यासी है जाँ, है उदासी यहाँ
ख़ाली-ख़ाली जहाँ, बे-मज़ा हर समाँ
लब सूखे-सूखे, नैना भीगे-भीगे
रूठा-रूठा सा मन
जिस तन लागे ऐसी बेक़रारी
जाने बस वो ही तन
उलझा हूँ कब से मैं, सुलझा
मैं हूँ क्या, मेरे ख़ुदा?
काटूँ मैं क्यूँ ये सज़ा, पिया?
काहे पहले मिलाए
जब आख़िर ही जुदाई है?
दिल से क्यूँ खेले बता?
हार माने नहीं, बेवजह सा यक़ीं
यार तो है कहीं, बेनसीबी यहीं
कैसे मैं भुलाऊँ?
या मैं भूल जाऊँ बीता हुआ मेरा कल?
कहाँ चला जाऊँ?
जा के ढूँढ लाऊँ प्यारे अपने वो पल?
तूने कभी क्या ये सोचा?
मैं हूँ क्या, मेरे ख़ुदा?
काटूँ मैं क्यूँ ये सज़ा, पिया?
काहे पहले मिलाए
जब आख़िर ही जुदाई है?
दिल से क्यूँ खेले बता?
Writer(s): Shakeel Sohail, Shiraz Uppal<br>Lyrics powered by www.musixmatch.com
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4m 9s · Hindi