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A beautiful short poem by Ashwani Kapoor. हर दिन नई लग रही  है ज़िन्दगी  ! उम्र के ऐसे मुक़ाम पर  आ पहुँची है कि लगता है पहले से बहुत निखर गई है ज़िन्दगी ! हर सुबह नया सन्देश लिए आती है , हर शाम एक नया जाम  बना कर नए दिन के नए सपने बुनने लगती है ज़िन्दगी ! कभी रुकना  नहीं कभी थक कर बैठने को नहीं कहता ये  मन मेरा , मुझे नई दुनिया दिखाने को बेताब बनाए रखती है ज़िन्दगी! आज वक़्त ठहर गया हो चाहे  , लेकिन मुझे चलते रहने को उकसा रही है ज़िन्दगी ! मैं ठहरूँगा नहीं रुक  कर थकना मुझे  आता नहीं  ! मंज़िल कब आएगी किसी को ख़बर नहीं  , लेकिन सपनों में बसे मेरे मुक़ाम तक पहुँच कर  ही रूकने का नाम लेगी यह ज़िन्दगी ! —-अश्विनी कपूर 6th June 2020 Music credits: Prelude No. 13 by Chris Zabriskie is licensed under a Creative Commons Attribution license (https://creativecommons.org/licenses/by/4.0/) Source: http://chriszabriskie.com/preludes/ Artist: http://chriszabriskie.com/
1m 20s · Aug 19, 2020
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